तेरे नयनो की धवल शांति में
डूबता तैरता मेरा मन
कभी तिनके का सहारा
कभी स्वयं जलधारा
नयनो के सहारे हृदय की दहलीज़ पर
दस्तक देता मेरा मन
जाने कब से तेरी भावना के सागर में उफान के इंतज़ार में
खड़ा हुआ............
रचना को पूरा पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें...
No comments:
Post a Comment