Wednesday, 15 June 2016

पुष्प, दीप्ति – एक नया संसार



सोचा था क्या बनेंगे हम
बने दीप्ति या बने सुमन
दीप्ति बने तो जलन साथ में
सुमन बने तो मिले चुभन
सोचा था क्या बनेंगे हम
दीपक बनकर आग लगा दे
इस दुनिया को खाक बना दे
जी भर साथ में शूल मिलेंगे
तो क्यों ऐसा बने चमन
सोचा था क्या बनेंगे हम



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