Yaaden
Monday 28 November 2016
न जाने कहाँ को चले जा रहे हैं ।
न जाने कहाँ को चले जा रहे हैं ।
भरी है दुपहरी बहे जा रहे हैं
न जाने कहाँ को चले जा रहे हैं ।
चले जा रहे हैं ।
खड़े पीठ करके भले उस तरफ हों
मगर मंजिलों को तके जा रहे हैं।
चले जा रहे हैं ।
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